COMPUTER ROM MEMORY KE BAARE ME VISTAAR SE JANIYE HINDI MEIN

कंप्यूटर की प्राइमरी मैमोरी,        
इसके अंतर्गत ROM     
उसके कार्य,प्रकार, कंप्यूटर एवं मोबाईल की रोम में अंतर जानिये ROM  के बारे में संपूर्ण ज्ञान


कंप्यूटर मैमोरी 

हम हमारे कंप्यूटर में जो कोई भी कार्य करते हैं उसे हमारे कंप्यूटर में कहीं ना कहीं स्थायी या अस्थायी रूप से संग्रहित करने की आवश्यकता रहती है तो ऐसी डिवाईस या उपकरण जहां कंप्यूटर में किये जा रहे कार्यो को स्थायी या अस्थायी रूप से स्टोर किया जाता है उसे मैमोरी कहते हैं

कंप्यूटर मैमोरी के मुख्य प्रकार

                                हमारे कंप्यूटर में मुख्य रूप से दो प्रकार की मैमोरी होती है 

1 प्राइमरी 

2 सैंकंडरी


प्राइमरी  मैमोरी 

यानि की प्राथमिक मैमोरी वह मैमोरी होती है जो हमारे कंप्यूटर के लिए अति आवश्यक होती है अर्थात जिसके ना होने से हमारा कंप्यूटर कोई भी कार्य नहीं कर पाऐगा।

सैंकडरी मैमोरी 

वह मैमोरी होती है जिसके होने या ना होने से कंप्यूटर के चलने की प्रक्रिया में कहीं कोई रूकावट नहीं होती है वरन इस प्रकार की मैमोरी का उपयोग स्थायी रूप से डेटा को स्टोर करने के लिए किया जाता है ताकि किया गया कार्य पावर आॅफ होने पर भी सुरक्षित रहे।

PRIMARY मैमोरी के कंसेप्ट को उदाहरण से समझें

कोई भी वस्तु के आगे जब प्राइमरी शब्द जुड़ता है तो इसका अर्थ होता है मुख्य या प्रमुख इसे हम एक उदाहरण से समझते है जैसे कि यदि आपको अपने दिन भर किये गऐ कार्यो कि सुची दे दी जाऐ ओैर कहा जाऐ कि इसमे से प्राइमरी तथा सैकंडरी कार्यो को अलग अलग किजिए तो आप कैसे करेंगे आइये करके देखते हैं

1 नहाना
2 क्रिकेट खेलना
3 भोजन करना
4 पानी पीना 
5 सांस लेना
6 शाॅपिंग करना
7 मुवी देखना

इस सूची के अनुसार यदि हम वर्गीकरण करें तो हम पायेंगे कि इन सभी कार्यो में से कार्य संख्या 3,4,5 ही प्राइमरी है बाकी सभी सैंकडरी है क्यंुकि कार्य संख्या 3,4,5 हमारे जीवन के लिए अति आवश्यक है ठीक उसी प्रकार प्राइमरी मैमोरी में उस मैमोरी को रखा जाता है जो हमारे कंप्यूटर के लिए अति आवश्यक होती है जिसके बिना हमारा कंप्यूटर कोई भी कार्य नहीं कर सकता है । अब हम बात करते है प्राइमरी मैमोरी के प्रकार के बारे में।

प्राइमरी मैमोरी एवं उसके प्रकार

कंप्यूटर की प्राइमरी मैमोरी में भी दो तरह के स्टोरेज होते है एक परमानेंट यानि की स्थायी और दूसरा टेंपरेरी यानि की अस्थायी।
प्राइमरी मैमोरी में जो स्थायी स्टोरेज होता है उसे  ROM  कहा जाता है तथा जो अस्थायी स्टोरेज होता है उसे RAM कहा जाता है

प्राइमरी मैमोरी के अंतर्गत हम इस लेख में ROM के बारे में विस्तार से बात करेंगे


ROM मैमोरी किसे कहते हैं।

ROM का पुरा नाम रीड आॅनली मैमोरी होता है अर्थात एक ऐसी मैमोरी जिसे केवल पढ़ा जा सकता है उसके कंटेटं में कोई भी फेरबदल नहीं किया जा सकता है
यह एक हार्डवेयर फ्लेश चिप होती है जिसमे कंप्यूटर को स्टार्ट करने संबधी सभी आवश्यक निर्देश एक छोटे से साॅफ्टवेयर प्रोग्राम के रूप में होते है, इस साॅफ्टवेयर प्रोग्राम को BIOS अर्थात BASIC  INPUT  OUTPUT  SYSTEM  कहा जाता है
ROM में इंस्टाॅल्ड इस BIOS साॅफ्टवेयर में हम अपनी तरफ से कोई भी फेरबदल नहीं कर सकते है, ये BIOS प्रोग्राम कंप्यूटर निर्माता के द्वारा मैन्यूफैक्चिरिंग के समय ही डाला जाता है जिसको END USER यानि की हम केवल पढ सकते है , इसमे अपनी तरफ से ना कुछ जोड़ सकते है और ना ही कुछ बदल सकते है
   कंप्यूटर के अलावा वाॅशिंग मशीन, माइक्रोवेव आॅवन, एवं अन्य इलेक्ट्रिक उपकरणों को रोम द्वारा ही प्रोग्राम्ड किया जाता है

COMPUTER और मोबाईल फोन की  ROM में क्या अंतर हैं

अक्सर मैनें लोगो को देखा है कि वे कंप्यूटर और मोबाईल की ROM में कंन्फ्यूज हो जाते है कि इन दोनो में क्या अंतर है, यहां तक कि जो मित्र मोबाईल सैलिंग या रिपेयरिंग का काम करते है वे भी नहीं विभेद कर पाते।
हमारे कंप्यूटर में RAM और ROM दोनो प्राइमरी मैमोरी का ही पार्ट होती है, और कंप्यूटर में ROM का कार्य केवल कंप्यूटर को बूटिंग अर्थात स्टार्ट होने के लिए जो आवश्यक निर्देश होते है उन्हे स्टोर करके रखने का कार्य होता है, यह हमारे पर्सनल डेटा को स्टोर करने के काम में नहीं ली जाती है
कंप्यूटर मे हम अपने पर्सनल डेटा को स्टोर करने के लिए सैकंडरी स्टोरेज डिवाईस जैसे कि हार्ड डिस्क इत्यादि का प्रयोग करते हैं।
वहीं पर मोबाईल डिवाईस मैं एक ही ROM  में BIOS तथा STORAGE  दोनो दे दिये जाते हैं,  
      
यहाॅं RAM का कार्य वही होता है जैसा कंप्यूटर की RAM का कार्य होता हैं लेकिन यहाॅ ROM दो कार्य एक साथ करती है 1. मोबाईल डिवाईस को स्टार्ट करने सबंधी निर्देशों को स्टोर करके रखना  2. यूजर के समस्त डेटा को भी स्टोर करके रखना  
    यदि USER को और अधिक मैमोरी की आवश्यकता रहती है तो वह सैकंडरी मैमोरी के रूप में मैमोरी कार्ड का प्रयोग कर सकता है
    
मुझे उम्मीद है उपरोक्त तथ्यो से आपको स्पष्ट हो चुका होगा कि मोबाईल और कंप्यूटर की ROM में क्या अंतर हैं।

ROM मैमोरी दिखती कैसी है





ROM  के प्रकार

MASK  ROM

MASK ROM के नाम में ही इसका काम छिपा हुआ है, सामान्यतया हम मास्क से क्या समझते हैं?  एक ऐसा मुखौटा जिससे हम चेहरे को ढकते हैं तो जब कंप्यूटर की ROM में  IC PROGRAMMER DEVICE द्वारा मैन्यूफैक्चरिंग के समय जब प्रोग्राम लिखा जाता है तो प्रोग्राम लिखने के साथ ही चिप के एरिया को ढक दिया जाता है, ताकि फिर से कोई भी फेरबदल सभव ना हो सके, इस प्रक्रिया को ही मास्किंग कहा जाता है और इस प्रकार की ROM को मास्क रोम कहा जाता है।

ROM का यह प्रकार सबसे पुराना है जिसे सिंपली ROM भी कहा जाता है।
इसको  मैन्यूफैक्चरर द्वारा निर्माण के समय डिवाईस में ही प्रोग्राम किया जाता है
एक बार प्रोग्राम लिखे जाने के बाद इसमें कोई भी परिवर्तन नही हो सकता हंै
इस प्रकार की ROM अब प्रचलन में नहीं है क्यूंकि कोई भी यूजर इसमें अपनी आवश्यकतानूसार प्रोग्राम नहीं कर सकता है 


मास्क रोम दिखती कैसी है?



 

PROM 

PROM  जिसका पुरा नाम , प्रोग्रामेबल रीड आॅनली मैमोरी होता है 
इस प्रकार की रोम में प्रोग्राम को MASK ROM  की तरह मैन्यूफैक्चिरिंग के समय ही प्रोगाम्ड नहीं कर दिया जाता है बल्कि इस में यूजर को यह अधिकार मिलता है कि वह एक पुरी तरह से खाली ROM जिसमें कोई भी प्रोग्राम लिखा हुआ नहीं है उसमें वह अपनी आवश्यकतानूसार प्रोग्राम को लिख सके।
और एक बार प्रोग्राम लिख जाने के बाद इस प्रोग्राम को  चिप से हटाया नहीं जा सकता और ना ही उसके स्थान पर कोई अन्य प्रोग्राम लिखा जा सकता हंे

जिस कंटेंट को PROM पर PROGRAMMED करना है उसे PROM PROGRAMMER के रूप में जानी जाने वाली मशीन में डाला जाता हैं
PROM PROGRAMMER को PROM BURNER  भी कहा जाता है तथा इस तरह से चिप को WRITE करने की प्रक्रिया PROM BURNING कहलाती है
PROM  एक प्लास्टिक कवर से ढ़की रहती है।
EPROM की तुलना में ROM  सस्ती होती है।
इसे OTP(ONE TIME PROGRAMMABLE CHIP) भी कहते हंे।
PROM  को 1956 में  ESA WEN TSING CHOW  ने विकसित किया था।



प्रोग्रामेबल रोम दिखती कैसी है?







EPROM

EPROM  का पुरा नाम ERASABLE  PROGRAMBEL READ ONLY MEMORY  होता हंे
PROM चिप को केवल एक ही बार प्रोग्राम किया जा सकता है, दूसरी और EPROM चिप रिप्रोग्रामेबल है , यह एक ऐसी ROM हैं जिसे कम से कम 1000 बार इरेज करके पुनः रिप्रोग्राम किया जा सकता हंै
EPROM में प्रोग्राम को डिवाईस से मिटाने के लिए पराबैंगनी किरणों (ULTRA VIOLET RAYS) का प्रयोग होता है
EPROM डिवाईस से डेटा को किसी विशेष हिस्से से नहीं मिटाया जा सकता , पराबैंगनी किरणो के संपर्क में आते ही पुरी डिवाईस का सभी कंटेट मिट जाता है।

 EPROM डेटा को 10 साल तक स्टोर कर सकता हंै

डेटा को मिटाने के लिए EPROM  chip  को सिस्टम से बाहर निकालना पड़ता हंै

EPROM, PROM  की तुलना में थोड़ा महंगा होता हंे

EPROM  एक पारदर्शी क्वार्टज विंडो के कवर से ढ़की रहती है।

इसका आविष्कार  1971 में  dov frohmen   ने किया था।

आजकल कंप्यूटर्स में eprom  के स्थान पर eeprom   का उपयोग किया जाता है।                              



EPROM  दिखती कैसी है?








EEPROM

EEPROM  का पुरा नाम ELECTRICALLY ERASABLE PROGRAMMABLE READ ONLY MEMORY  होता है 

इसका आविष्कार george perlegos ने इंटेल में 1978 में विकसित किया था।

इसमें eprom  की तरह अनावश्यक रूप से पुरा डेटा नहीं उड़ता बल्कि इसमें डैटा के कुछ हिस्से यानि की data byte   को अपनी आवश्यक्तानूसार इलेक्ट्रिक चार्ज के द्वारा मिटाया जा सकता हंे

आजकल Eeprom का प्रयोग eprom के स्थान पर किया जाता है

जहाँ पर eprom को erase करने के लिए उसे कंप्यूटर से निकालना पड़ता था वहीं पर Eeprom को कंप्यूटर से निकालने की जरूरत नहीं पड़ती



EEPROM दिखती कैसी है?




FLASH  ROM


यह EEPROM  का एडवांस्ड वर्जन है, EPROM में जहां पर एक बार में एक बाईट डेटा को ही हटा या लिख सकते हैं वहीं पर EEPROM में एक बार में 512 बाईट डेटा तक हटा एवं लिख सकते हैं।
यह मैमोरी EEPROM  से तेज है।
इसे कंप्यूटर से हटाये बिना ही इसे रिप्रोग्राम किया जा सकता हंे
यह उच्च तापमान और उच्च दाब को भी सहन कर सकती हंे
कई माॅडर्न पीसी और लेपटाॅप में एक फ्लेश मेमोरी चिप पर अपने BIOS  को स्टोर किया जाता है जिन्हे फ्लेश बायोस कहा जाता है, 
इनका उपयोग माॅडेम  esa भी किया जाता हंेै।




FLASH ROM  दिखती कैसी है









CONCLUSION

इस लेख में हमने कंप्यूटर की प्राइमरी मैमोरी एवं उसके अंतर्गत आने वाली ROM मैमोरी को विस्तार से लेकिन मातृभाषा हिन्दी में सरल और सहज तरीके से बताने की कोशिश की है इस लेख के बारे में यदि आपके कोई प्रश्न या सुझाव हो तो नीचे कमेंट बाॅक्स में टाईप करके जरूर बताएंे , आज इस ब्लाॅग पर ये पहला लेख है आपके द्वारा किये गऐ कमेंट से हम और भी बेहतर और सरल तरीके से कंप्यूटर ज्ञान को हिंदी में आप तक पहुँचाते रहेंगें।
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