OPERATING SYSTEM क्या होता है ,क्या काम करता है , ऑपरेटिंग सिस्टम के प्रकार, EXAMPLES के साथ , विस्तार से , IN HINDI

 


OPERATING  SYSTEM


आॅपरेटिंग सिस्टम किसे कहते हैं?

आॅपरेटिंग सिस्टम एक सिस्टम साॅफ्टवेयर है र्जो कंप्यूटर के हार्डवेयर एवं यूजर के मध्य एक इंटरफेस/मध्यस्थ की भूमिका निभाता है ,  आॅपरेटिंग सिस्टम को हम शाॅर्ट में OS भी कहते हैं।


EXAMPLES 

EX-1

आॅपरेटिंग सिस्टम हमारे कंप्यूटर में ठीक उतना ही महत्व रखता है जितना हमारे शरीर में आत्मा का होता है
हम जानते हैं कि जब शरीर में आत्मा नहीं रहती है तो वह मृत देह बन जाता है ठीक उसी तरह बिना आॅपरेटिंग सिस्टम के कंप्यूटर मृत डिवाईस के समान है उसका कोई असतित्व नहीं होता है इसी कारण आॅपरेटिंग सिस्टम को “ साॅल आॅफ कंप्यूटर ” या कंप्यूटर की आत्मा भी कहा जाता है

EX-2

आॅपरेटिंग सिस्टम इंटरफेस का कार्य करता है  ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार कलाकार और दर्शक के मध्य स्टेज/टीवी और अन्य माध्यम होते है। ये माध्यम नहीं होगें तो कलाकार अपनी कला दर्शको तक नहीं पहंुचा पाऐगा वैसे ही यदि आॅपरेटिंग सिस्टम नहीं होगा तो हम कंप्यूटर तक अपनी कोई भी बात नहीं पहुंचा सकते


EX - 3

यदि हमें किसी नदी के उस पार वाले लोगो से मिलना होता है तो उसके लिए हमें किसी पुल या नाव की जरूरत होगी , ठीक उसी तरह यदि हमें कंप्यूटर की सभी एप्लिकेशन पर कार्य करना है तो हमारे कंप्यूटर में माध्यम के रूप में आॅपरेटिंग सिस्टम होना जरूरी है

EX - 4

यदि हम गौर करें तो हम पायेंगें कि शब्द “आॅपरेटिंग सिस्टम” के नाम में ही इसका काम छिपा हुआ है जहाँ आॅपरेटिंग का अर्थ है चलायमान रखने वाला और सिस्टम से आशय तंत्र से है  तो इस आधार पर हम कह सकते है कि आॅपरेटिंग सिस्टम एक ऐसा तंत्र है जो हमारे कंप्यूटर को चलाने के लिए अति आवश्यक है


    

आॅपरेटिंग सिस्टम की अवधारणा को इस तुकबंदी से समझिये


आॅपरेटिंग सिस्टम है वैसे 


नदी पर बना कोई पुल हो जैसे


शरीर मे बसती हो आत्मा जैसे


मंच मिले किसी कलाकार को जैसे


आॅपरेटिंग सिस्टम किस से मिलकर बना होता है

हमारा ये आॅपरेटिंग सिस्टम एक नहीं कई प्रोग्राम्स का समुह होता है और इसका प्रत्येक प्रोग्राम कई सारे निर्देशो से मिलकर बना होता है और ये सभी छोटे छोटे प्रोग्राम्स मिलकर एक दूसरे को काॅर्डिनेट अर्थात सहयोग करते हुए अपना अपना कार्य करते रहते हैं अलग अलग कार्य करते हुए भी इन आॅपरेटिंग सिस्टम का साझा उद्धेश्य यही रहता है कि हमें कंप्यूटर को चलायमान रखना  है

साधारण शब्दो में कहंे तो कई सारे निर्देश मिलकर एक प्रोग्राम बनता है, और बहुत सारे प्रोग्राम मिलकर एक आॅपरेटिंग सिस्टम बनाते हैं, 

EXAMPLE 5

ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार “कई धाराऐ मिलकर नदी बनाती है , और मिलती है जब नदियाँ सारी सागर को बनाती है” 

इसको चित्र के माध्यम से समझिये


EXAMPLE 6


ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार एक कंपनी में कई विभाग होते है, हर विभाग में कई कर्मचारी होते हैं , सभी का कार्य अलग अलग होता है लेकिन सभी का मुल उद्धेश्य कंपनी को लाभ पहुँचाना ही रहता है


हमारे कंप्यूटर में आॅपरेटिंग सिस्टम कहां रहता है और कैसे कार्य करता है।


जब कोई भी कंप्यूटर फैक्ट्री में बन कर तैयार होता है तब उसमे आॅपरेटिंग सिस्टम नहीं होता है तब उसमें केवल एक ही साॅफ्टवेयर होता है जिसे BIOS कहते है जो ROM में पड़ा रहता है, लेकिन जब कंप्यूटर फैक्ट्री से निकलकर दूकानदार/रिटेलर  के पास आता है तो वो इसमे आॅपरेटिंग सिस्टम डालकर हमें देता है
  रिटेलर के पास  आॅपरेटिंग सिस्टम किसी बूटेबल डिस्क में होता है जिसे वह हमारे कंप्यूटर में इंस्टाल कर देता है , अब सवाल ये उठता है कि इंस्टाॅल करने के बाद आॅपरेटिंग सिस्टम कंप्यूटर में कहा जाता है तो, इसका जवाब है कि इंस्टाॅल होने के बाद आॅपरेटिंग सिस्टम का पुरा सेटअप हमारे कंप्यूटर की हार्ड डिस्क में चला जाता है सुरक्षा की दृष्टि से ओएस सेटअप के लिए हार्डडिस्क में एक अलग अलग पार्टिशन बना दिया जाता है वहां उपस्थित आॅपरेटिंग सिस्टम की सभी फाईल्स को सिस्टम फाईल्स कहा जाता है, ये सिस्टम फाईल्स अति महत्वपूर्ण होती है, अमुमन हमें देखने सूनने में आता है कि सिस्टम करप्ट होगया है तो यह समस्या अक्सर किसी ना किसी सिस्टम फाईल के खराब होने के कारण होती है, ऐसी स्थिति में हमे आॅपरेटिंग सिस्टम को रिकवर करना पड़ता है या फिर रिंइंस्टाल भी करना पड़ता है 

महत्वपुर्ण नोट -  हम जब कंप्यूटर स्टार्ट करते हैं तब आॅपरेटिंग सिस्टम को अपना कार्य शुरू करने के लिए कुछ बेसिक निर्देशो की जरूरत होती है। ये निर्देश उसे कंप्यूटर की ROM मैमोरी में पड़े BIOS साॅफ्टवेयर से मिलते हैं।




आॅपरेटिंग सिस्टम के प्रकार





SINGLE  USER  OPERATING  SYSTEM

SINGLE  USER  SINGLE  TASKING 


         सिंगल यूजर आॅपरेटिंग सिस्टम वह आॅपरेटिंग सिस्टम होता है जिसमें एक समय में केवल एक यूजर ही कंप्यूटर सिस्टम को एक्सेस कर सकता हंे
उदाहरण के लिए एम.एस.डाॅस , पाॅम ओएस इत्यादि सिंगल यूजर ओएस के उदाहरण है 

SINGLE  USER  MULTI  TASKING 

एक ऐसा आॅपरेटिंग सिस्टम जो एक सिंगर यूजर को एक समय कई सारी टास्क अर्थात मल्टीटास्किंग की 

अनुमति देता है उसे सिंगल यूजर मल्टीटास्किंग आॅपरेटिंग सिस्टम कहते हैं।

उदाहरण के लिए एम एस विंडोज , एवं मैकिनटोश आॅपरेटिंग सिस्टम 



MULTI USER  OPERATING SYSTEM


यह एक ऐसा आॅपरेटिंग सिस्टम है जो कि एक सिंगल नेटवर्क सर्वर पर कई सारे यूजर को एक साथ एक साथ एक ही समय पर   चलने वाले कार्यक्रमों का उपयोग करने की अनुमति देता है 
इस पुरे सिस्टम में एक सिंगल कंप्यूटर जिसमे नेटवर्क आॅपरेटिंग सिस्टम होता है उसे नेटवर्क सर्वर कहा जाता है तथा बाकी सभी अन्य सिस्टम जो सर्वर कंप्यूटर के प्रोग्राम्स का उपयोग कर रहें है उन्हे क्लांइट कंप्यूटर कहते हैं
यहां हर क्लांइट कंप्यूटर में टर्मिनल क्लांइट साॅफ्टवेयर होता है जो सभी एंड यूजर के सेशन्स को सपोर्ट करता है
उदाहरण के लिए UNIX , MVX , ETC
यदि सर्वर से कनेक्शन टूटता है तो क्लांइट एंड पर यूजर कोई भी कार्य नहीं कर पाता हे, क्यंुकि सभी क्लाइंट सर्वर से जुड़े हुऐ है






CHARACTER USER INTERFACE OPERATING SYSTEM


इस प्रकार के आॅपरेटिंग सिस्टम को हम कमांड लाईन इंटरफेस भी कह सकते हैं , क्योंकि इस प्रकार के आॅपरेटिंग सिस्टम में यूजर द्वारा कंप्यूटर को छोटे से लगा कर कोई भी बड़ा इंस्ट्रक्शन ही क्यूं ना देना हो उसे कमांड टाइप करना पड़ता था। इस प्रकार के आॅपरेटिंग सिस्टम के यदि EXAMPLE की बात करें तो माइक्रोसाॅफ्ट का  MS WORD इसका प्रमुख उदाहरण है। 


कमांड कुछ इस प्रकार से होती थी जैसे  किसी फाईल को यदि रिनेम करना हो तो  REN
                                   किसी फाईल को डिलीट करना हो तो  DEL
                                   इंटरफेस से बाहर निकलना हो तो  EXIT 
                                   कोई नयी डायरेक्टरी बनानी हो तो  MKDIR
    



GRAPHICAL  USER  INTERFACE  OPERATING SYSTEM

                                     इस तरह के आॅपरेटिंग सिस्टम में यूजर को कुछ इस तरह का इंटरफेस दिया जाता है कि उसे कमांड टाइप नहीं करना पड़े ,  इसमें सभी कमांड्स को अलग-अलग आइकन के रूप में एमबैड कर दिया जाता है , यूजर को जो भी कमांड कंप्यूटर को देना है वो उसे बिना याद रखे , बिना टाईप किये ही केवल माउस की सहायता से उस कमांड के आइकन पर क्लिक करके बहुत ही तेज गति से कमांड निर्देशित कर सकता है

वर्तमान में काम कर रहे सभी आॅपरेटिंग सिस्टम जिसमें   MICROSOFT WINDOWS  से लगाकर APPLE के MECHINTOSH  तक सभी आॅपरेटिंग सिस्टम जीयूआई इंटरफेस में ही कार्य करते हैं

     इस तरह के आॅपरेटिंग सिस्टम के प्रसिद्धि के पीछे माऊस का महत्वपूर्ण योगदान है।



TIME  SHARING  OPERATING SYSTEM

                            जैसा कि नाम से ही पता चल रहा है इस प्रकार के आॅपरेटिंग सिस्टम मे कंप्यूटर प्रोसेसेज के मघ्य सीपीयू का टाईम शेयर किया जाता है , जिससे प्रत्येक प्रोसेस को एक्जीक्यूट होने के लिए पुरा समय मिले और सीपीयू किसी भी सूरत में IDLE अर्थात ठाला न रहे , वो हर समय किसी ना किसी प्रोसेस को एक्जिक्यूट कर रहा हो , सीपीयू टाइम का अधिक से अधिक उपयोग हो इसी बात को ध्यान में रखकर इस आॅपरेटिंग सिस्टम को बनाया गया है


टाईम शेयरिंग आॅपरेटिंग सिस्टम को  EXAMPLE  से समझिये।


यदि कंप्यूटर में 4 प्रोसेस रन कर रहें हैं ( सीपीयू में रन कर रहा कोई भी प्रोग्राम प्रोसेस कहलाता है ) अब प्रत्येक प्रोसेस को एक्जीक्यूट होने के लिए सीपीयू टाईम की आवश्यक्ता है तो इस प्रकार के आॅपरेटिंग सिस्टम में प्रत्येक प्रासेस को EXECUTE  होने के लिए FIXED TIME  वितरित कर दिया जाता है, जिसे TIME SLICE  या TIME QUANTUM कहा जाता है, यदि कोई प्रोसेस निर्घारित टाइम स्लाईस में  EXECUTE  नहीं हो पाता है तो उसे READY QUEUE में रहकर फिर से अपनी बारी का इंतजार करना होगा जब सारे प्रोसेस EXECUTE  होने के बाद दूबारा उसे EXECUTE  होने का समय मिलेगा 



BATCH  OPERATING  SYSTEM


                                      

बैच आॅपरेटिंग सिस्टम दूसरी पीढी़ के कंप्यूटर में प्रयोग होने वाला प्रथम आॅपरेटिंग सिस्टम है इस आॅपरेटिंग सिस्टम का नाम इसकी कार्यपद्धति को प्रदर्शित करता है ।  अंग्रेजी के  BATCH  का शाब्दिक अर्थ होता है समूह/ जत्था ।  तो इस आॅपरेटिंग सिस्टम में  यूजर इनपुट डेटा को प्रोसेस कराने के लिए जाॅब के रूप में तैयार कर देता है 


जाॅब क्या होता है?

जाॅब का शाब्दिक अर्थ दी गई टास्क या कार्य से होता है , एक कंप्यूटर में प्रोसेस होने वाली जाॅब,  PROGRAM, INPUT DATA , और CONTROL INSTRUCTION का समुह होता है जिसे पहले से लिखकर एक बंडल के रूप मंे तैयार करके प्रोसेसिंग के लिए भेजा जाता है, मोटे तौर पर कहंे तो एक जाॅब मैं ये सूचना होती है कि कंप्यूटर को क्या करना है और कैसे करना है ,जाॅब तैयार होने के बाद यूजर उसे PUNCHED CARD में इनपुट करवा देता था ( PUNCHED CARD  जो कि दूसरी पीढ़ी के कंप्यूटर में अति महत्वपुर्ण इनपुट डिवाईस थी) PUNCHED  CARD  में INPUT करवाने के बाद यूजर PUNCHED CARD को लेकर कंप्यूटर आॅपरेटर के पास जाता था, आॅपरेटर सारी SIMILLAR JOBS अर्थात वे जाॅब जिनकी जरूरत एक जैसी हो उन्हें 1 BATCH  में कन्वर्ट कर देता था, ऐसे ही दूसरी समान जरूरत वाली जाॅब का एक अलग BATCH बना देता था 


EXAMPLE

           FORTRAN भाषा में लिखी गयी सारी जाॅब एक बैच में,  COBOL भाषा में लिखी गयी सारी जाॅब एक भाषा में ।

दूसरी पीढी का ये आॅपरेटिंग सिस्टम एक बार में एक बैच को एक्जिक्यूट करता था और एक बैच में से भी सारी जाॅब को एक साथ नहीं बल्कि प्रत्येक जाॅब को बारी बारी से एक एक करके EXECUTE करता था (इस प्रक्रिया को SPOOLING कहा जाता है) जब एक बैच की सारी JOB EXECUTE हो जाती थी तब  USER  को आउटपुट प्राप्त होता था 


REAL TIME  OPERATING SYSTEM

 इस प्रकार के आॅपरेटिंग सिस्टम CPU के RESPONSE  TIME  के सिद्धांत पर कार्य करते हैं। अर्थात इनपुट लेकर उसे प्रोसेस करके परिणाम देने वाला समय काफी कम लगता है, इस समय को RESPONSE  TIME  या प्रतिक्रिया समय कहा जाता है जो  RTOS  में काफी कम होता है। इन RTOSका उपयोग वहाँ ज्यादा किया जाता है जहाँ समय अति महत्वपूर्ण होता है जैसे कि  मिसाईल लाॅचिंग सिस्टम हमारे पर्सनल कंप्यूटर में चलने वाली गतिविधियां जैसे कि आॅडियो , विडियो SONG इत्यादि 

REAL TIME  OPERATING SYSTEM  दो प्रकार के होते हैं

1) HARD  REAL  TIME  OPERATING SYSTEM

वे आॅपरेटिंग सिस्टम होते है जिनमे समय की काफी सख्ती होती है और इनमे अमूमन सैंकडरी स्टोरेज नहीं होता है बैसिक निर्देश देने के लिए केवल ROM मैमोरी होती है, इनका उपयोग क्रिटिकल आॅपरेशन्स में किया जाता है जहाँ FRACTION OF SECOND  का अंतर भी स्वीकार्य नहीं होता है। 

EXAMPLE मिसाईल लाॅचिंग सिस्टम

                                                                                  

2) SOFT REAL  TIME OPERATING  SYSTEM  

    इनमें हार्ड रियल टाईम के मुकाबले समय की सख्ती काफी कम होती है 

EXAMPLE  हमारे पर्सनल कंप्यूटर में चलने वाले आॅडियो , विडियो प्लेयर इत्यादि साॅफ्ट रियल टाईम के कारण ही चल पाते है, अतः हमारे पीसी पर चलने वाला आॅपरेटिंग सिस्टम साॅफ्ट रियल टाईम आॅपरेटिंग सिस्टम ही है।जैसे कि यदि हमारी SONG PLAYLIST में एक के बाद एक सभी गाने अपने नियत समय और अंतराल पर AUTOMATICALLY  PLAY हो पा रहे हैं। लेकिन किसी कारण से यदि हम समय में कहीं चुक जाऐं तो भी उस कार्य को फिर से संपादित करने में दिक्कत नहीं होती है, जबकि हार्डरियल टाईम आॅपरेटिंग सिस्टम जो कि क्रिटिकल आॅपरेशन्स के लिए डिजाईन किये जाते है उनमे सुधार की गुंजाईश नहीं रहती है

 

 कुछ प्रमुख आॅपरेटिंग सिस्टम निम्न प्रकार से हैं।



 

MS  WINDOWS  OPERATING SYSTEM

माइक्रोसाॅफ्ट कंपनी द्वारा निर्मित यह आॅपरेटिंग सिस्टम दुनिया भर में सर्वाधिक प्रचलित आॅपरेटिंग सिस्टम है
माइक्रोसाॅफ्ट विंडोज ओएस की शुरूआत 1985 में हुई थी और तब से लेकर अब तक विंडोज के कुल 26 संस्करण आ चुके हैं
एम एस विंडोज का सबसे पहला वर्जन विंडोज 1.0 है जिसे रिलीज किया गया नवंबर 1985 में।
एम एस विंडोज का अब तक का सबसे लेटेस्ट वर्जन(संस्करण) विडोंज 10 है जिसे रिलीज किया गया था 30 सितंबर 2014 को।

विंडोज के अभी तक आऐ कुछ प्रसिद्ध संस्करण के नाम कुछ इस प्रकार से हैं।

Windows  1.0

Windows 2.0

Windows 3.0

Windows 3.1

Windows 95

Windows 4.0

Windows 98

Windows ME

Window 2000

Window xp

Window vista

Windows 7

Windows 8

Windows10

 

APPLE  IOS  OPERATING SYSTEM

 IOS एप्पल कंपनी के द्वारा निर्मित ओएस है , जिसका उपयोग एप्पल के मोबाईल फोन यानि की IPHONE में एक OS के रूप में प्रयोग होता हंै साथ ही इसका उपयोग एप्पल के अन्य उत्पाद जैसे कि IPAD और IPAD TOUCH डिवाईस में भी होता है
शुरूआत में इसका नाम IPHONE OS था बाद में जिसे बदलकर IOS कर दिया गया
IOS का सबसे पहला वर्जन IPHONE OS 1.X  था और सबसे लेटेस्ट वर्जन IOS 12  है

 

IOS के अभी तक के सबसे पाॅपुलर वर्जन निम्न है 

IPHONE OS 1.X

IPHONE OS 2.X

IPHONE OS 3.X

IOS 4.X

IOS 5.X

IOS 6.X

IOS 7.X

IOS 8.X

IOS 9.X

IOS 10.X

IOS 11

IOS 12


GOOGLE’S  ANDROID


एंड्राॅइड दूनिया भर में एप्पल के IOS के बाद सर्वाधिक प्रचलित मोबाईल में प्रयोग होने वाला आॅपरेटिंग सिस्टम है
यह आॅपरेटिंग सिस्टम लाईनक्स कर्नल के उपर आधारित है
एंड्राॅईड के वास्तविक आविष्कारक एंडी रूबिन थे, जिनकी कंपनी को 2005 में गुगल ने खरीद लिया और रूबिन को एंड्राॅईड डेवलपमेंट विभाग का मुखिया बना दिया गया।

बाद में सन 2013 में एंडी रूबिन के कंपनी छोड़ते ही भारतवंशी सुंदर पिच्चई को हेड बना दिया गया
एंड्राॅइड 1.0 ALPHA से लगाकर एंड्राॅइड  9.0 PIE तक कुल 28 वर्जन तक लगभग अभी तक आ चुके है और हम आशा करते हैं कि और भी कई अच्छे अच्छे वर्जन हमें निकट भविष्य में देखने को मिलते रहेंगें।

 

VERSIONS   OF  ANDROID



APPLE ‘S  MAC  OS

 मैकिनटोश आॅपरेटिंग सिस्टम जिसे शाॅर्ट में मैक ओएस कहा जाता है यह आॅपरेटिंग सिस्टम एप्पल के द्वारा बनाऐ गये मैक कंप्यूटर  में  यूज लिया जाता है

मैक कंप्यूटर को एप्पल में 1984 में बनाया था

यह दूनिया का पहला ग्राफिकल यूजर इंटरफेस वाला कंप्यूटर था अर्थात इसके आने से पहले दुनिया भर में सभी कंप्यूटर सीयूआई इंटरफेस में कार्य करते थें।

यहंा तक कि माइक्रोसाॅफ्ट कंपनी ने भी अपना विंडो ओएस इसके 1 वर्ष बाद यानि की 1985 में बना पाया था।

मैक एक सिंगल यूजर आॅपरेटिंग सिस्टम है तथा GUI INTERFACE के कारण अब इसमें कमांड की जरूरत नहीं रहती , उसका स्थान माउस ने ले लिया।

मैक अपने समकालीन विंडोज ओएस से अधिक लागत होने पर भी अपने उन्नत डिजाईन

और अच्छी कार्यक्षमता के कारण लोकप्रिय रहा है। 



 





LINUX  OS

लाइनक्स ओएस का आविष्कार लिनस टोरवल्र्ड नामक छात्र ने 1991 में अपने पर्सनल प्रोजेक्ट के लिए किया था उनका सपना था कि वे अपने द्वारा बनाऐ गये इस ओएस को UNIX 386 कंप्यूटर पर चलाऐ लेकिन आर्थिक तंगी के कारण वे ऐसा नहीं कर पाऐं
लाईनक्स एक आॅपन साॅर्स आॅपरेटिंग सिस्टम है अर्थात कोई भी लाईनक्स के कर्नल को माॅडिफाई करके अपना स्वयं का ओएस बना सकता है।
लाईनक्स ओएस में विंडोज ओएस के मुकाबले कम फीचर होते है लेकिन लाईनक्स विंडोज की तुलना में वायरस अटैक से ज्यादा सुरक्षित रहता है
लाईनक्स मैक ओएस और विंडोज जितना प्रसिद्ध नहीं हुआ इसके पीछे सबसे बड़ा कारण है कि इसका कम युजर फ्रेडली होना रहा है, एक नाॅन टेक्निकल पर्सन के लिए जितना आसान विंडोज और मैक ओएस पर कार्य करना होता है उतना ही लाइनक्स पर मुश्किल ।


 

 

 

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