CHART IN MS EXCEL IN HINDI / एम एस एक्सल में चार्ट को जानिए हिंदी में।

 CHART IN MS EXCEL IN HINDI / एम एस एक्सल में चार्ट को जानिए हिंदी में।


एक पुरानी कहावत है कि 1000 शब्दों की कहानी एक चित्र बंया कर देता है , ये कहावत व्यवहारिक रूप में भी उतनी ही प्रासंगिक है और कुछ यही  सिद्धांत एम एस एक्सल मंे बनने वाले चार्ट में अपनाया गया है।


चार्ट के द्वारा एम एस एक्सल में दिये गऐ डेटा को चित्रात्मक रूप मे ंप्रस्तुत कर सकते है 

एक चार्ट में विभिन्न प्रकार के सिंबल और इमेजेस के द्वारा डेटा को प्रस्तुत किया जाता है।

एक्सल में चार्ट को बनाने का प्रमुख उद्धेश्य यही होता है कि हम डैटा को और अधिक प्रभावशाली और सरल बना सके जिससे टेबल में दिखाये गऐं आकंडो को कोई भी व्यक्ति आसानी से समझ सके।

एम एस एक्सल मे डेटा को चार्ट में तभी बदला जा सकता है जब कि उसमे कम से कम 2 फील्ड आवश्यक रूप से हो।  

एम एस एक्सल में चार्ट लगाने के लिए हमें इंसर्ट मीनू में जाना होगा।

एम एस एक्सल में चार्ट लगाने के लिए F11 अथवा ALT+F1  शाॅर्ट कट कुंजी का भी उपयोग कर सकते है।

डेटा हमेशा एक सा नहीं होता , अलग अलग उद्धेश्यो के लिए अलग अलग तरह का डेटा होता है , और इस भिन्न प्रकार के डेटा के लिए चार्ट भी भिन्न होते है , सभी डेटा को एक ही चार्ट से प्रदर्शित नही ंकिया जा सकता है , एम एस एक्सल में चार्ट के 11 प्रकार दिये हुए है जिनके नाम कुछ इस प्रकार से है।



इन सभी चार्ट के बारे में हम बारी बारी से बात करेंगें।

1. COLUMN CHART :-  

                                                                 इस प्रकार के चार्ट में कोई भी दो डेटा को आपस में तुलना करवा सकते है इस प्रकार के चार्ट में डेटा वैल्यू को लंबवत छड़ो के माध्यम से प्रदर्शित किया जाता है।
 काॅलम चार्ट की कार्यशैली को हम नीचे दिखाये गऐ चित्र के माध्यम से समझ सकते है। 


    उपर दिखाये गऐ चार्ट में किसी एक ही कंपनी के भिन्न भिन्न व्यक्तियों द्वारा की गई सैलिंग की आपस में तुलना की गई है            

            




         इसी तरह से जब हमे एक ही डिपार्टमेंट के अलग अलग व्यक्तियों के द्वारा दो अलग अलग वित्तिय वर्षाें में की गई सेलिंग की तुलना करेंगे तो चार्ट कुछ इस तरह से दिखाई देगा।        



2. LINE CHART:- 

                                                      जब दिये गऐ डेटा को आरेखों के माध्यम से प्रदर्शित करते हुए उनकी तुलना करनी हौ तब हम लाईन चार्ट का उपयोग करते है 
नीचे दिये गऐ चार्ट में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए 50 ओवर के  किसी क्रिकेट मैच में अलग अलग औवर्स में दोनो टीमो ने कितने रन बटोरे है उसका तुलनात्मक अध्ययन लाईन चार्ट के माध्यम से प्रदर्शित किया गया है।
            

        

3 BAR CHART :-  


                                                 बार चार्ट की कार्यशैली बिल्कुल काॅलम चार्ट की तरह ही होती है जो मुख्य अंतर इन दोनो चार्ट में होता है वह यह है कि काॅलम चार्ट में डैटा वैल्यू को उध्र्वाधार छड़ों के माध्यम से प्रस्तुत किया जाता है जबकि बार चार्ट में डैटा वैल्यू को क्षैतिज छड़ो के माध्यम से दिखाया जाता है।




     

4 PIE CHART :-    

                                             पाई चार्ट को एक वृताकार गोले के माध्यम से प्रदर्शित किया जाता है , इसमे डैटा वैल्यू को उनकी मात्रा के अनुसार वृत में से पाई अर्थात वृत का एक टूकड़ा alot किया जाता है , जो डेटा वैल्यू जितनी ज्यादा होगी , पाई का आकार उतना ही बड़ा होगा। पाई चार्ट की कार्यशैली को हम इस चार्ट के माध्यम से समझ सकते है 
                                     


5. DOUGHNUT CHART :-

                                                यह चार्ट एक अमरीकी खाद्य पदार्थ डाॅनट की तरह दिखाई देता है अतः इसे डाॅनट चार्ट कहते हैं। यह भी पाई चार्ट की तरह डेटा वैल्यू के प्रतिशत के आधार पर कार्य करता है लेकिन पाई चार्ट से यह थोड़ा भिन्न भी है क्योकीं पाई चार्ट केवल सिंगल सिरिज डैटा के लिए ही उपयुक्त है मल्टीसिरिज डेटा को वह व्यक्त नही कर पाता है , अतः मल्टी सिरिज डेटा को व्यक्त करने के लिए डाॅनट चार्ट का उपयोग किया जाना सही है। 



                                     

उपर दिये गऐ चार्ट में हम देख सकते है अलग अलग मोबाईल कंपनी के 2010 और 2020 के साल में हुई सेलिंग को डाॅनट चार्ट के माध्यम से दिखाया गया है।


6 RADAR CHART  

                                                      जब हमे किसी काॅम्पलैक्स डेटा को चार्ट के माध्यम से प्रस्तुत करना हो तब हम राडार चार्ट का उपयोग करेंगें।  राडार चार्ट को समझने के लिए हम नीचे दिये गऐ फिगर की सहायता लेंगें। 


उपर दिये गऐ चित्र में 5 महानगरो जयपुर दिल्ली मुंबई चैन्नई और कोलकाता में किसी कंपनी ने अपने प्राॅडक्ट का बिजनेस किया , इसमे उसने प्रत्येक शहर में एक निर्धारित मात्रा में अमाउंट विज्ञापन पर खर्च किया तथा उसके बाद हुई सेलिंग से कुछ राशि कमाई भी करी। तो यहां राडार चार्ट की सहायता से हम आसानी से यह पता लगा सकते है कि किस शहर में विज्ञापन पर खर्चा ज्यादा हुआ और किस शहर में प्राॅडक्ट की सेलिंग से कमाई ज्यादा हुई। उपरोक्त चित्र में ब्लू लाईन एडवर्टाइज को प्रदर्शित कर रही है वहीं पर रेड लाईन सेलिंग को दिखा रही है।


7 SCATTER CHART :-  

 स्कैटर चार्ट मल्टीसिरिज डेटा को कंपेयर करवाने के काम आता है , या पैयर आॅफ वैल्यूज को कंपेयर करवाने के काम आता है,  यह चार्ट पहले पढ़ चुके अन्य चार्ट की अपेक्षा भिन्न है क्योकंी इसमें जिन वैल्यूज पर चार्ट बनाते है उनका मैजरमेंट काॅलम चार्ट, बार चार्ट इत्यादि की तरह एक सीध में नहीं किया जा सकता , इस चार्ट में वैल्यूज को मार्कर पाॅइंट के द्वारा व्यक्त किया जाता है ये मार्कर x तथा  y को आधार मानकर ही निर्धारित किये जाते हैं अतः इसको XY चार्ट भी कहते हैं   स्कैटर चार्ट की कार्यप्रणाली को नीचे दिये गऐ चार्ट से समझ सकते हैं। 


8 AREA CHART :-  

                                                       एरिया चार्ट का उपयोग समय के साथ होने वाले परिवर्तनों को प्लाॅट करने के लिए किया जाता है। 

एरिया चार्ट का उपयोग 2 या 2 से अधिक क्वांटिटिज को आपस में तुलना  करवाने के लिए किया जाता है , इसकी कार्य पद्धति बिल्कुल लाईन चार्ट की तरह ही हे जहां मात्रा में होने वाले उतार चढ़ाव को लाईन के द्वारा व्यक्त किया जाता था, वहीं कार्य इसमें केवल एक सिंगल लाईन ना लेकर के  पुरे एरिया को रंग के द्वारा कवर करते हुए किया जाता है।   एरिया चार्ट को हम नीचे दिये गऐ चित्र से समझ सकते है।


9  BUBBLE CHART : -   

बबल चार्ट स्कैटर चार्ट की तरह ही होता है लेकिन स्कैटर चार्ट तथा बबल चार्ट में मुख्य अंतर यह होता है कि स्कैटर चार्ट दो वैल्यू पर कार्य करता है जबकि बबल चार्ट  3 वैल्यू पर कार्य करता है, टेबल की तीसरी वैल्यू बबल की साइज को निर्धारित करती है। 

नीचे दिये गऐ चार्ट  से आप समझ सकते हैं जहां पर किसी मटैरियल प्रोडक्शन कंपनी  ने 4 अलग अलग रीजन में अलग अलग युनिट सीमेंट के कट्टे बेंचे, यहां सेलिंग अमाउंट तथा प्राप्त किया गया लाभ भी टेबल में दिखाया हुआ है , चार्ट में कंपनी के अलग अलग रीजन को अलग अलग रंग से व्यक्त कर रखा है , जिस रीजन में प्राॅफिट ज्यादा है वहंा बबल बड़ा बन रहा  है तथा जिस रीजन मे ंप्राॅफिट कम है वहां बबल छोटा बनेगा, 

                                                                


10 STOCK CHART :-

   
                                        स्टोक चार्ट किसी कंपनी के विशेष स्टोक का प्राइज चार्ट होता है जिसमें हम स्टोक की हाई प्राईज, लो प्राईज , एवं क्लोजिंग इत्यादि को दिखा सकते है।
 

             उपर दिखाये गऐ चार्ट को देख कर हम समझ सकते हैं कि जो वर्टिकल लाईन दिखा रखी है उसका नीचला हिस्सा लो प्राइज को व्यक्त कर रहा है , उपर का हिस्सा हाई प्राईज बता रहा है और हरे रंग के तीर वाला आईकन क्लोजिंग प्राईज को बता रहा है।                                                  

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