NETWORK PROTOCOLS IN HINDI / नेटवर्क प्रोटाॅकाॅल हिंदी में।

 कंप्यूटर नेटवर्क में सूचनाओ के सही से आदान प्रदान के लिए जो नियमों का समुह बनाया जाता है उसे प्रोटाॅकाॅल कहा जाता है।   किसी नेटवर्क में जुड़े डिवाईस आपस में कैसे कम्यूनिकेट करेंगें, उनके बीच डेटा किस तरह से और किस फाॅरमेट में ट्रासंफर होगा, और डेटा रिसीव होने के बाद क्या होगा यह प्राॅटोकाॅल द्वारा ही निर्धारित होता है।  


TYPES OF PROTOCOL 

कुछ सामान्य रूप से उपयोग में आने वाले नेटवर्क प्राॅटाॅकाॅल कुछ इस प्रकार से है। 

TCP ( TRANSMISSION CONTROL PROTOCOL )

इसका काम इंटरनेट पर डेटा ट्रांसफर के लिए होता है। यह डेटा को छोटे छोटे पैकेट्स में तोड़ कर नेटवर्क के जरिये डेस्टिीनेशन तक सेंड कर देता हैं जहां इसे पुनः जोड़ लिया जाता है।

INTERNET PROTOCOL 

आईपी यह टीसीपी के साथ मिलकर काम करता है डैटा पैकेट को ट्रासंफर करने के लिए आईपी का उपयोग एड्रेसिंग के तौर पर किया जाता है, जिसके जरिये फाईनल डेस्टिीनेशन तक डेटा को पहुचाया जाता है इस एड्रेस को आईपी एड्रेस कहा जाता है। IPCONFIG कमांड के द्वारा हम अपने कंप्यूटर का आईपी एड्रेस भी चैक कर सकते हैं।  पारंपरिक तौर पर किसी भी कंप्यूटर का आईपी एड्रेस 32 बिट का होता है।   आईपी एड्रेस के 2 संस्करण है आईपीवी 4 तथा  आईपीवी 6 । आईपीवी 4 एड्रेस में 32 बिट का एड्रेस होता है वहीं पर आजकर इंटरनेट पर बढती युजर संख्या को देखते हुए आईपी एड्रेस का नया संस्करण आईपीवी 6 आ चुका है जो 128 बिट एड्रेस रखता है।

HTTP ( HYPER TEXT TRANSFER PROTOCOL)

यह  एक REQUEST-RESPONSE  प्रोटाॅकाॅल है जो क्लाइंट कंप्यूटर और सर्वंर के बीच कनेक्शन स्थापित करता है, इंटरनेट पर जब भी हमें एक वेबसाईट से दूसरी वेबसाईट पर जाना हो तब यही प्रोटाॅकाॅल कार्य करता है अपने वेब ब्राउजर पर किसी भी वेबसाईट को एक्सेस करने के लिए इसी प्रोटाॅकाॅल का प्रयोग होता है।

HTTPS ( HYPERTEXT TRNANSFER PROTOCOL SECURED)

यह http का सिक्योर्ड वर्जन है इसमे सिक्योर्ड साॅकैट लेयर का प्रयोग करता है जो ब्राउजर और सर्वर के मध्य एक्रिंप्टेड फाॅर्म में डैटा ट्रांसफर करता है।

FTP ( FILE TRANSFER PROTOCOL )

FTP  एक भारतीय अभय भूषण द्वारा 1971 मे विकसित किया गया तब जब वे एमआईटी में अध्ययनरत थे। जब कोई वेब डेवलपर वेबसाईट डेवलप करता है तब उस वेबसाईट की फाईल्स को सर्वर पर अपलोड करना होता है इस काम के लिए FTP का उपयोग किया जाता है।  एफटीपी एक प्रकार का प्रोटोकाॅल है जो दो सिस्टम्स के बीच फाइलों के आदान प्रदान के लिए कुछ नियम निर्धारित करता है। इसमें फाईल ट्रासंफर युजर क्लाईट और एफटीपी सर्वर के मध्य किया जाता है।  किसी अन्य method के मुकाबले एफटीपी द्वारा तेज गति से फाईल ट्रांसफर किया जा सकता है।  

SMTP ( SIMPLE MAIL TRANSFER PROTOCOL) 

जैसा कि नाम से ही पता चल रहा है इस प्रोटोकाॅल का प्रयोग इंटरनेट पर मेल अर्थात् संदेश ट्रांसफर करने के लिए किया जाता है। इसकी सहायता से केवल मेल को मेल सर्वर से संेडर तक ट्रांसफर किया जा सकता है , मेल को रिसीव नही किया जा सकता है।

TELNET PROTOCOL 

किसी दूरस्थ स्थान पर उपस्थित कंप्यूटर से किसी अन्य कंप्यूटर को रिमोट लाॅगिंग की सहायता से चलाया जा सकता है , इस प्रकार के प्राॅटाॅकाल को Established करने के लिए Telnet  प्राॅटोकाॅल की आवश्यक्ता रहती है , teamviewer साॅफ्टवेयर इसका एक अच्छा उदाहरण है। 


ETHERNET PROTOCOL 

स्कुल , काॅलेज, आॅफिस इत्यादि में LAN कनेक्शन का उपयोग होता है और इस प्रकार के कनेक्शन के लिए ETHERNET प्रोटाॅकाॅल का प्रयोग किया जाता है। कंप्यूटर को LAN से कनेक्ट करने के लिए उसमें ETHERNET NIC का होना आवश्यक है।

IMAP PROTOCOL 

आई मैप का पुरा नाम इंटरनेट मैसेज एक्सेस प्राॅटाॅकाॅल है।  IMAP का पुरा नाम इंटरनेट मैसेज एक्सेस प्राॅटाॅकाॅल है। IMAP मैल सर्वर से इमेल मैसेजेज को डाउनलाॅड करने की सुविधा देता है आईमैप प्रोटाॅकाॅल को POP के एक विकल्प के रूप में तैयार किया गया है। मेल सर्वर से मेल डाॅउनलाॅड होने के बाद भी मेल सर्वर पर मेंल की एक काॅपी बनी रहती है जो डिलीट नही की जाती। आईमैप सदा मेल सर्वर के साथ सिंक रहता है। आईमैप का पोर्ट नंबर 143 और sss 999 है।  POP 3 जहां सिंगल डिवाईस को एक्सेस कर सकता है वहीं पर आईमैप प्रोटाॅकाॅल मल्टीपल डिवाईस को एक्सेस कर सकता है।

 

POP3 PROTOCOL  

इस प्रोटोकाॅल के तहत मेल सर्वर से मेल को डाउनलोड करने के बाद मेल सर्वर से डिलीट हो जाती हैइस प्रोटोकाॅल के तहत मैसेज  को डाउनलोड करने के बाद यह मेल सर्वर से डिलीट हो जाता है , यह मेल सर्वर के साथ SYNC नही हो पाता है इसका पोर्ट नंबर  110 तथा  995 है। यह सिर्फ सिंगल डिवाईस को एक्सेस कर सकता है। 

USER DATAGRAM PROTOCOL 

UDP का पूरा नाम user datagram protocol (यूजर डाटाग्राम प्रोटोकॉल) है। इस protocol को David P Reed ने 1980 में डिजाइन किया था। इसको RFC 768 में define किया गया है।

यह  एक सरल transport layer कम्युनिकेशन प्रोटोकॉल है। यह एक  connection-less protocol है मतलब जब data transfer  होता है तो यह प्रोटोकॉल sender और receiver के बीच connection को establish नहीं करता।

UDP में रिसीवर, data receive करने और सेन्डर, data sent करने की कोई acknowledgement generate नहीं करता है। यह data को directly transfer करता है।इसमें communication mechanism का use  बहुत ही कम होता है। UDP को unreliable protocol कहा जा सकता है लेकिन यह  ip services को use करता है जो कि सबसे अच्छा delivery mechanism प्रदान करता है।user datagram protocol में data packet को datagram कहते हैं। UDP कोई गारंटी नहीं देता है कि आपका data अपने destination तक पहुंचेगा या नहीं. ये data कम quantity में भी  पहुंच सकता है (अर्थात् transmission के मध्य में कुछ डेटा पैकेट नष्ट भी हो सकते है।)इसमें यह भी आवश्यक नहीं है कि डाटा receiver तक उसी sequence में पहुंचेगा जिस sequence में हमने data sent किया है। यह data segment वापस sent नहीं करता है (अर्थात् यह नष्ट हुए data packets को दुबारा ट्रांसमिट नहीं करता) 
 

MAC PROTOCOL    :-  

मैक प्रोटौकाॅल समझने से पहले ये समझते है कि मैक एड्रेस क्या होता है , मैक एड्रेस किसी भी कंप्यूटर या अन्य किसी हार्डवेयर इलेक्ट्राॅनिक डिवाईस का फिजीकल एड्रेस होता है, जिससे खो जाने की स्थिति में नेटवर्क से जुड़ते ही उस डिवाईस को ढुंढने में आसानी होती है , पारंपरिक मैक एड्रेस 12 डिजीट का होता है जिसमें शुरूआती 6 डिजीट मैन्यूफैक्चरर को प्रदर्शित करती है तथा अंतिम 6 डिजीट नेटवर्क इंटरफेस कंट्रोलर को रिप्रजेंट करती है जिसे मैन्यूफैक्चरर द्वारा ही असाईन किया जाता है। किसी भी नेटवर्क से जुड़ने के लिए राउटर को अपना मैक एड्रेस देना पड़ता है, इसे institute of electrical and electronic engineers संस्था द्वारा मैनेज किया जाता है , किसी भी डिवाईस का लाॅजिकल एड्रेस अर्थात उसका आईपी एड्रेस नेटवर्क पर बदला जा सकता है , लेकिन किसी भी डिवाईस का फिजीकल एड्रेस अर्थात मैक एड्रेस अपरिवर्तित रहता है।

AR PROTOCOL :-  

ARP का पूरा नाम Address Resolution Protocol है. यह एक communication protocol है जिसका प्रयोग IP Address के द्वारा डिवाइस के MAC address को खोजने के लिए किया जाता है. यह OSI Model के network layer का सबसे महत्वपूर्ण protocol है.

ARP का मुख्य कार्य 32-bit IP address को 48-bit MAC address में बदलना है. इसका प्रयोग ज्यादातर device के MAC address को निर्धारित करने के लिए किया जाता है.


DNS

पाॅल मैकपैट्रिस ने 1983 में इरविन के कैलिफाॅर्निया विश्वविद्यालय में डोमेन नेम सिस्टम को डिजाईन किया , इंटरनेट पर प्रत्येक वेबसाईट के आईपी एड्रेस को याद रख पाना बहुत ही मुश्किल है अतः प्रत्येक वेबसाईट का एक यूजर अंडरस्टेबल नेम होना चाहिए , इसी नाम को डाॅमेन नेम कहा जाता है उदाहरण के लिए जैसे गुगल , फेसबुक , इंस्टाग्राम , ओएलएक्स वेबसाईट्स के उदाहरण  है जिनको इंटरनेट पर सर्च करने के लिए उनके आईपी एड्रेस के स्थान पर उनके डोमेन नेम से भी सर्च किया जा सकता है , यहां डीएनएस इंटरनेट की फोनबुक की तरह है , जंहा से किसी भी वेबसाईट को सर्च किया जा सकता है। 


IGMP (INTERNET GROUP MANAGEMENT PROTOCOL)


आईजीएमपी प्रोटाॅकाॅल को समझने से पहले हम ब्राॅडकास्टिंग और मल्टीकास्टिंग के बारे में जान लेते हैं , ब्राॅडकास्टिंग अर्थात किसी भी सूचना या डेटा को उपलब्ध सभी जनसमूह तक समान रूप से वितरित करना , ब्राॅडकास्टिंग का उदाहरण है हब  वहीं पर  मल्टीकास्टिंग का अर्थ है कि किसी भी सूचना को केवल उससे संबधित नोड्स तक ही एक समूह के रूप मे पहुंचाना मल्टीकास्टिंग कहलाता है इसका उदाहरण है स्विच / मल्टीकास्ट राउटर  , तो नेटवर्क में मल्टीकास्टिंग से संबधित मैनेजमेंट के लिए एक नये प्राॅटाॅकाॅल का निर्माण किया गया और उस प्राॅटोकाॅल को नाम दिया गया आईजीएमपी , इसमें मल्टीकास्ट राउटर केवल उन्हीं कंप्यूटर तक डेटा पैकेट को ले जाता है जो मल्टीकास्ट समूह का हिस्सा होते हैं, और कौनसा कंप्यूटर मल्टीकास्ट समूह का हिस्सा है और कौनसा नहीं इसका पता मल्टीकास्ट राउटर को आईजीएमपी द्वारा लगता है।

SSH ( SECURE SHELL) :- 
                                               SSH का पूरा नाम secure shell है, इसे कभी-कभी secure socket shell भी कहते है। remote logins के लिए SSH एक सुरक्षित प्रोटोकॉल है। SSH, दूसरे कंप्यूटर के साथ सुरक्षित कम्यूनिकेट करने की विधि है। SSH एक नेटवर्क प्रोटोकॉल है जिससे कि डेटा या सूचना को सुरक्षित channels के माध्यम से दो devices के मध्य transmit किया जाता है। 

SSL ( SECURE SOCKET LAYER) :- 
                                                              SSL एक encryption protocol होता है जो इन्टरनेट में इस्तेमाल किया जाता है. ये protocol internet browser और websites के बिच एक सुरक्षित संपर्क प्रदान करता है जो Internet users को अनुमति देता है की वो अपने private data को दुसरे website के साथ अदला बदली सुरक्षित रूप से कर सके. SSL का fullform है Secure Sockets Layer.  



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